
नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री नीलकमल मैदा की शुद्ध बालूशाही
29/09/2025 | shree Neelkamal
नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री नीलकमल मैदा की शुद्ध बालूशाही
नवरात्रि के नौ दिन माँ के नौ रूपों की आराधना का समय होते हैं। हर दिन की पूजा में अर्पित भोग का अपना विशेष महत्व होता है। यह केवल भोजन नहीं, बल्कि हमारे भाव, हमारी आस्था और हमारे संस्कारों की अभिव्यक्ति होता है। जब हम किसी पारंपरिक व्यंजन को श्रद्धा के साथ बनाते हैं और माँ को अर्पित करते हैं, तो वह प्रसाद बन जाता है — पवित्र और पूज्य।
ऐसी ही एक खास और पारंपरिक मिठाई है – श्री नीलकमल मैदा से बनी बालूशाही
बनाने की विधि
मैदा को घी और थोड़ा दही के साथ मिलाकर मुलायम, ढीला आटा तैयार किया जाता है। इसे थोड़ी देर ढककर रख देते हैं, फिर छोटी-छोटी लोइयां बनाकर बीच में हल्का दबा देते हैं। धीमी आंच पर इन्हें तलकर कुरकुरा किया जाता है और फिर इन्हें गुनगुनी चाशनी में कुछ देर डुबोकर रखा जाता है, ताकि मिठास अंदर तक चला जाए।
बालूशाही जैसी पारंपरिक मिठाई जब शुद्ध सामग्री और प्रेमपूर्ण मन से तैयार की जाती है, तो वह प्रसाद का रूप ले लेती है — जो ना केवल माँ को प्रिय होती है, बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।
इस नवरात्रि, माँ को अर्पित करें ऐसा भोग, जिसमें हो परंपरा का स्वाद, शुद्धता की पहचान और श्रद्धा का भाव। श्री नीलकमल मैदा से बनी बालूशाही सिर्फ एक मिठाई नहीं होती, बल्कि माँ दुर्गा के चरणों में अर्पित सच्ची भक्ति और प्रेम की मिठास भी होती है।
यह प्रसाद न सिर्फ पूजा को पूर्ण बनाता है, बल्कि घर में सुख, शांति और सकारात्मकता का भी संदेश लाता है।